मैं ना लैहों प्रभू तेरी उतराई


केवट की गति उस विद्यार्थी जैसी हो गयी है जिसे महागुरु के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करना है। कभी भगवान राम की तरफ देखता कभी डांड़ इधर उधर करता कभी नाव के बीच जाकर लग्गे को पानी में डालता। नाव में आज चराचर जगत के खेवईया बैठे हैं, केवट नाव संचालन का कौशल भूल रहा है, कौशलेन्द्र राघव के सामने पतवार थामते हाथ काँप रहे, यह दृश्य देखकर लखन लाल को क्रोध आ रहा है पर भैया के सामने कुछ कह नहीं पा रहे, कसमसा के आग्नेय नेत्रों से केवट की ओर देख लेते हैं, सोचते कि शायद यह पार उतराई की कोई और शर्त रखेगा। 

नाव डगर मगर कर गंगा पर चल रही, गंगा मईया प्रभु के चरण छूना चाहतीं, लहरे ऊँची हो रहीं, केवट तेजी तेजी चप्पू चला रहा। आज कड़ी परीक्षा का दिन है। गंगा का बहाव तेज हो रहा है, मन ही मन केवट माँ गंगा से प्रार्थना करता है आज सकुशल पार करा दो, कहीं भगवान को यह न लगे कि नाव चलाने में मैं अभी कच्चा हूँ, नहीं तो वह अपनी बिरादरी से निकाल देंगे, मैं भी तो उनके जैसा ही नाविक हूँ, वह बहुत बड़े और मैं बहुत छोटा पर नाव दोनों खेते हैं। केवट द्रवित भाव से माँ गंगा से गुहार लगाता है,

मेरी नईया में लछिमन राम गंगा मईया धीरे बहो
लहरों को तनिक ले लो थाम गंगा मईया धीरे बहो

केवट के मन की गति देखकर प्रभु मुस्कराते हैं, गंगाजल को स्पर्श कर कहते हैं, हे सीता हे लक्ष्मण इस जल को स्पर्श करो, इसी जल से हमारे पुरखे तरे थे, गंगा नदी नहीं नाव है। ऐसी नाव जिसे छूते ही पाप की गठरी अपने आप छूट जाती है, जिसके सहारे प्राणी मुक्ति लोक पहुँच जाता है। लक्ष्मण और माता सीता गंगा को स्पर्श कर प्रणाम करते हैं, लक्ष्मण का क्रोध शमित होता है, लहरें शांत होती हैं। नाव उस पार पहुँचती है।

माता उतराई के लिए अंगूठी उतारती हैं, केवट पैरों में गिर पड़ता है,

मैं ना लैहों प्रभू तेरी उतराई

जन्म जन्म भर कीनि मजूरी, सो विधि न दीनी भरपूरी
अब तो नाथ नाहिं कछु चहिये, दीनानाथ अनुग्रह तेरी ।
मैं ना लैहों प्रभू तेरी उतराई!!

नदी नाव के हमहीं खेवइया, औ भवसागर के श्री रघुराई
तुलसीदास यही वर मांगू, उहवां ना लागे प्रभु मेरी उतराई ।
मैं ना लैहों प्रभू तेरी उतराई!!

अरथ न धरम न काम रुचि गति न चहउँ निरबान!
जनम-जनम रति राम पद यह बरदानु न आन!!

तीर्थराज प्रयाग अपने भाग्य पर पुलकित होते हैं, जो यहां आता है यही वरदान मांगता है, धर्म की धुरी भरतलाल भी यही दान यहाँ से मांगते हैं। मैं भी त्रिभुवन तारिणी से यही दान मांगता हूँ।

सियापति रामचंद्र की जय 🙏

#राम_लीला

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