जिहादी मानसिकता का ज़हर – हिंदू बच्चों की हत्याओं तक पहुँच चुकी साजिश

जिहादी मानसिकता का ज़हर – हिंदू बच्चों की हत्याओं तक पहुँच चुकी साजिश
गुजरात में दिनदहाड़े एक हिंदू बालक की हत्या ने पूरे समाज को हिला दिया है। चाकू लेकर एक आठवीं कक्षा का मुस्लिम बच्चा अपने सहपाठी पर टूट पड़ता है और निर्दोष की जान ले लेता है। सवाल यह नहीं है कि चाकू कहाँ से आया, सवाल यह है कि इतनी कम उम्र में यह जहरीली मानसिकता आई कहाँ से? जवाब साफ है – यह है मदरसों, मौलवियों और कुरआनी जिहादी तालीम का सीधा परिणाम।

यह कोई अकेली घटना नहीं है। पूरे भारत से लगातार ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं।

NIA की रिपोर्ट (2024) बताती है कि पिछले 5 सालों में देशभर में 180 से ज्यादा ऐसे मॉड्यूल पकड़े गए हैं जहाँ बच्चों और युवाओं को “काफ़िरों के खिलाफ़ जिहाद” के लिए तैयार किया जा रहा था।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने 2023 में कई मदरसों पर छापे मारे, जहाँ बच्चों को कुरान की आड़ में कट्टरपंथ और हथियारों की ट्रेनिंग दी जा रही थी।

केरल के लव जिहाद केस में कोर्ट तक ने माना कि संगठित गिरोहों द्वारा हिंदू लड़कियों को फँसाकर ISIS तक पहुँचाने की घटनाएँ हुईं।

हरियाणा और राजस्थान में पिछले दो सालों में 50 से ज्यादा गौहत्या गैंग पकड़े गए, जिनके पीछे एक ही मानसिकता थी – हिंदू आस्था को चोट पहुँचाना।

बंगाल में दुर्गा विसर्जन और रामनवमी जुलूस पर हमलों में पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 80% हमले कट्टरपंथी मुस्लिम समूहों द्वारा किए गए।


यानी यह मानसिकता हर मोर्चे पर काम कर रही है।

कभी यह मानसिकता कश्मीर में “काफ़िर भागो, या तो मर जाओ” के नारे लगवाती है, कभी मालदा और मुर्शिदाबाद में मंदिर जलवाती है, कभी मुंबई और भोपाल में धर्मांतरण के रैकेट चलाती है। और अब यही मानसिकता गुजरात जैसे शांत राज्य में स्कूल तक घुसकर मासूम बच्चों का खून बहा रही है।

यह सोच सिखाती है कि काफ़िरों का कोई हक़ नहीं। यह सोच बच्चों के मासूम दिमाग में यह भरती है कि जन्नत पाने के लिए हिंदू को मारना पुण्य है। यही सोच वह है जिसने विभाजन में लाखों हिंदुओं का खून बहाया, मलाबार विद्रोह में हजारों हिंदू स्त्रियों का बलात्कार कराया, कश्मीरी पंडितों को रातों-रात बेघर कर दिया और यही सोच अब हमारे भविष्य – हमारे बच्चों – को टुकड़ों में काट रही है।

आज हिंदू समाज को यह मानना ही होगा कि यह सिर्फ़ “आतंकी घटना” नहीं बल्कि सुनियोजित जिहादी युद्ध है। यह युद्ध बंदूक और चाकू से ही नहीं लड़ा जा रहा, यह युद्ध हमारी बेटियों के खिलाफ़ लव जिहाद से है, हमारी आस्था के खिलाफ़ गौहत्या और मंदिर तोड़ने से है, हमारी ज़मीन और रोज़गार के खिलाफ़ लैंड जिहाद से है। हर जगह यही एक ज़हरीली मानसिकता काम कर रही है जो मुसलमान बच्चों को किताब की जगह चाकू और ईमान की जगह नफ़रत पकड़ा रही है।

अब समय आ गया है कि हिंदू समाज सिर्फ़ शोक न करे बल्कि प्रतिकार का संकल्प ले। यह मानसिकता केवल सामाजिक बहिष्कार, आर्थिक बहिष्कार और कठोर राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही रोकी जा सकती है। जो परिवार, जो मौलवी, जो संस्थान इस ज़हर को फैलाते हैं, उन्हें हिंदू समाज से हर स्तर पर काट फेंकना होगा। जब तक हिंदू समाज एकजुट होकर खड़ा नहीं होगा, तब तक यह जिहादी विचारधारा एक-एक कर हमारे बच्चों को निगलती रहेगी।

🚩 यह हत्या सिर्फ़ एक बच्चे की हत्या नहीं – यह हिंदू समाज के भविष्य की हत्या है।
🚩 अगर आज नहीं जगे तो कल हर हिंदू घर मातम का घर होगा।
🚩 अब यह अस्तित्व की लड़ाई है – और इसमें हर हिंदू को खड़ा होना ही होगा।
लेखक 
महेन्द्र सिंह भदौरिया
प्रांत सेवा टोली सदस्य 
सहमंत्री साबरमती 
विश्व हिन्दू परिषद उत्तर गुजरात

टिप्पणियाँ

  1. दिन पर दिन ये जिहादी इन की जिहादी मानसिकता में आगे बढ़ा ता जा रहा है और हमारा हिंदू समाज आज भी secular बन कर बैठा है 😡😡और वो भाई बन ते जा रहा है और हमारे भाईयों और बच्चों को चारा बना ते जा रहा है

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