2005 से 2011 तक: कांग्रेस की हिंदू विरोधी नीतियों का खुला सच"


लेखक :- डॉ पवन विजय जी 

कांग्रेस 2005 में एक मसौदा तैयार किया था जिसके तहत अल्पसंख्यक को बहुसंख्यक से सुरक्षा का प्रावधान देने की बात कही गई थी। वह ड्राफ्ट बिल नही बन पाया, पुनः सोनिया गांधी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने सांप्रदायिक एवं लक्ष्य केन्द्रित हिंसा निवारण अधिनियम बनाया। इस अधिनियम हिंदुओं में जड़मूल से मिटाने का पूरा कार्यक्रम था।

कांग्रेस पार्टी संपत्ति को हड़प कर मुसलमानों को देने की बात कर रही है वह कोई नई बात नही है। कांग्रेस पार्टी जिन लोगों के हाथ में है वे रक्त रंजित क्रांति चाहने वाले लोग हैं। उनका मकसद हिंदुओं की संस्कृति, उनका वैभव, उनका मान सम्मान नष्ट कर एक दूसरी संस्कृति के बीज बोना है। यह कम्युनिस्ट मार्क्सवादी लेनिन वादी कांग्रेस है जो हिंदुओं को तोड़ने पर आमदा है।

2011 के सांप्रदायिक एवं लक्ष्य केन्द्रित हिंसा निवारण अधिनियम में प्रावधान था कि कोई मुसलमान हिंदुओं की शिकायत कर दे तो हिंदू बिना अपील, वकील, दलील के प्रथम दृष्टया अपराधी मान लिया जाएगा। फर्ज कीजिए कि किसी दलित का किसी मुसलमान से झगड़ा हो गया तो कानून मुसलमान को कवर करेगा न कि दलित को। हिंदुओं का भाग्य था कि कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं था नही तो आज हिंदुस्तान और पाकिस्तान में ज्यादा भेद न होता।

कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व की भाषा निहायत ही डरावनी और षड्यंत्रकारी है। कांग्रेस अपने विरोधियों के प्रति अत्यंत क्रूर है, भूलती नही। रिश्ते में पुत्र हो या पति, दामाद का परिवार हो या बहू का, कांग्रेस से आप दयालुता की उम्मीद नहीं कर सकते। किसानों के प्रदर्शन के दौरान मोदी सरकार कभी उग्र नही हुई, अफसरों को नरमी से पेश आने के आदेश थे। पुलिस को केवल उन्हें रोकना था, याद करिए कांग्रेस ने किस तरह से रामलीला मैदान में क्रूर कार्यवाही की थी, याद करिए गौ सेवको पर किस तरह से गोलियां चली थीं, रामभक्तों के साथ क्या हुआ था।

कांग्रेस का पहला अध्यक्ष धर्म बदल कर ईसाई हो गया था और लंदन में बस गया था, कांग्रेस का वर्तमान नेतृत्व ईसाई है, एंटोनियो माइनो के पिता फासीवादी सैनिक थे, कांग्रेस फासीवाद का पर्याय बन गई है। जो राहुल गांधी अपने दादा के कब्र पर कभी नहीं गए वह देश के लोगों से क्या ही भावनात्मक संबंध रखेंगे।

झूठ बोलने की इंतहा किसी दल ने पार किया तो कांग्रेस ने, भारत को बांटने के साथ समाज को बांटने का काम किया तो कांग्रेस ने। राहुल गांधी को ब्राह्मण और दत्तात्रेय बताकर कांग्रेसी जनता को मूर्ख समझते हैं, जिसका दादा कब्र में लेटा हो वह ब्राह्मण कैसे हो सकता है। मुझे राहुल के ब्राह्मण, पारसी, ईसाई होने से मतलब नही, मुझे पाखंड और देश की जनता को मूर्ख बनाने की बात से चिढ़ है।

राहुल की भाषा एक गुंडे की भाषा है, यह व्यक्ति नफरत में पागल होकर सत्ता के लिए देश में गृहयुद्ध कराने पर आमदा है।

कांग्रेस समेत उसके सहयोगी दलों को वोट देने से हिंदू जनता अब बचने लगी है। हिंदुत्व को गाली देने वाले राहुल गांधी की पार्टी में कोई हिंदू कैसे हो सकता है यह शोध का विषय है।



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