जिहाद और इस्लामी कट्टरता: हिन्दू समाज पर सुनियोजित आघात
भारतभूमि सहिष्णुता, साधना और संस्कृति का केंद्र रही है जहां धर्म को केवल पूजा-पद्धति नहीं बल्कि जीवनपद्धति के रूप में देखा गया। इसी भारत ने समय-समय पर ऐसे आक्रांताओं का भी सामना किया जिन्होंने धर्म की आड़ में सम्पूर्ण सभ्यता को रौंदने का प्रयत्न किया। सातवीं शताब्दी में जिस मजहब का जन्म हुआ उसने अपने आरंभ से ही यह स्पष्ट कर दिया कि उसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक उन्नति नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व पर शासन करना है। इस्लामी विचारधारा में केवल अल्लाह के प्रति भक्ति ही नहीं बल्कि इस्लामी शासन व्यवस्था की स्थापना भी अनिवार्य मानी जाती है। इसी व्यवस्था को स्थापित करने के लिए जिहाद का सिद्धांत दिया गया जो प्रारंभ में तलवार के माध्यम से हुआ और आज उसकी विभिन्न शाखाएं समाज के हर कोने में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं
भारत के भीतर जिहाद का इतिहास रक्तरंजित रहा है मंदिरों का विध्वंस, मूर्तियों का अपमान, हिन्दू आस्थाओं पर क्रूरतापूर्वक आघात, हजारों महिलाओं का अपहरण, मतांतरण और बलात्कार, गोवंश की हत्या,
यह सब केवल सैन्य विजय के लिए नहीं बल्कि एक सम्पूर्ण धार्मिक-सांस्कृतिक विनाश के लिए किया गया। जिहाद को पवित्र युद्ध कहने वाले मजहबी विद्वानों ने अपने अनुयायियों में यह धारणा बैठा दी कि जो इस्लाम नहीं स्वीकारता वह काफ़िर है और काफ़िर को जीवित रहने का अधिकार तब तक है जब तक वह इस्लामी सत्ता के अधीन होकर जज़िया चुकाता है या इस्लाम स्वीकार करता है। यही सोच भारत में मुस्लिम आक्रांताओं के समय से लेकर आज के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में भी गुप्त रूप से सक्रिय है
आज जब तलवार नहीं है तो जिहाद ने रूप बदल लिया है अब यह विचारों, रणनीति और समाजशास्त्रीय उपकरणों के माध्यम से कार्य करता है
लव जिहाद के माध्यम से हिन्दू बहनों को अपने जाल में फँसाकर उनका धर्मांतरण करना केवल एक विवाह नहीं बल्कि एक वैचारिक अभियान है
भूमि जिहाद के माध्यम से वक्फ बोर्ड की आड़ में भारत की हजारों एकड़ ज़मीन पर कब्ज़ा किया जा रहा है इनमें मंदिर परिसर, स्कूल, अस्पताल, श्मशान और सार्वजनिक भूमि तक शामिल हैं
मदरसों में भारत विरोधी सोच पनप रही है जहां आधुनिक शिक्षा की जगह मजहबी कट्टरता और अलगाववाद का पाठ पढ़ाया जाता है धर्मांतरण आज केवल विदेशी मिशनरी संगठनों के माध्यम से नहीं बल्कि खाड़ी देशों की फंडिंग से चल रहे नेटवर्कों से हो रहा है गरीब हिन्दुओं को रोजगार, चिकित्सा या विवाह के नाम पर इस्लाम में दीक्षित किया जा रहा है गौहत्या खुलेआम हो रही है क्योंकि यह न केवल धार्मिक अपराध है बल्कि हिन्दू अस्मिता पर चोट का सबसे सीधा माध्यम है
वर्तमान समय में यह सब घटनाएं एक-दूसरे से अलग नहीं बल्कि एक बड़े वैचारिक तंत्र की शाखाएं हैं जो भारत को भीतर से तोड़ने का प्रयास कर रही हैं रामनवमी की यात्राओं पर पथराव, ज्ञानवापी और मथुरा में मंदिरों पर अतिक्रमण, हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को मस्जिदों में बदलने की जिद, अदालतों में चालाकी से धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दू आस्था का अपमान, यह सब कट्टर इस्लामी मानस का ही परिणाम है जब काशी में मंदिर के गर्भगृह पर बना वजूखाना शांति की निशानी कहा जाता है तो यह केवल स्थापत्य का विवाद नहीं बल्कि मानसिक दासता का प्रदर्शन होता है जब हिन्दू समाज अपनी ही भूमि पर अपना इतिहास और धर्म सिद्ध करने के लिए प्रमाण खोजता है तब यह समझना आवश्यक है कि हम शत्रु के रूप नहीं, उसकी मानसिकता से जूझ रहे हैं
यह मानसिकता केवल कुछ कट्टरपंथी लोगों की नहीं बल्कि एक पूरे मजहबी ढांचे की है जिसमें धर्म, शासन, कानून, अर्थव्यवस्था, शिक्षा और मीडिया को नियंत्रित करने की योजना शामिल है मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्रों में गैर-मुसलमानों को निष्क्रिय कर देना, बहुपत्नी और बहुजननी प्रथा से जनसंख्या में तेजी से वृद्धि कर स्थानीय सत्ता पर अधिकार प्राप्त करना, हिन्दू प्रतीकों का अपमान, योग, वंदेमातरम्, गाय और संस्कृत जैसी अवधारणाओं का मजाक उड़ाना, यह सब उसी वर्चस्ववाद की सूक्ष्म अभिव्यक्तियाँ हैं
यदि भारत को सनातन रूप में जीवित रखना है तो केवल रक्षा नहीं, वैचारिक प्रतिकार अनिवार्य है हिन्दू समाज को अब जागरूक होना होगा कि वह केवल पूजा पद्धति के आधार पर नहीं बल्कि आत्मबोध, संगठन और समर्पण के माध्यम से ही इस वैचारिक युद्ध को जीत सकता है केवल प्रतिक्रिया से नहीं बल्कि योजना से, केवल धर्माचार से नहीं बल्कि राष्ट्र धर्म से, केवल चेतावनी से नहीं बल्कि एक समर्पित कार्ययोजना से हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं। अध्ययन टोली जैसी राष्ट्रप्रेमी शाखाओं को अब केवल अध्ययन के लिए नहीं बल्कि वैचारिक प्रशिक्षण और जागरण के लिए समर्पित होना होगा। प्रत्येक हिन्दू घर, गांव, मोहल्ला और मंदिर इस चेतना का केंद्र बने यही इस युद्ध की विजय यात्रा का आरंभ होगा
प्रस्तुत कर्ता
महेंद्र सिंह भदौरिया
प्रांत सेवा टोली सदस्य उत्तर गुजरात
जिला सहमंत्री साबरमती जिला
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