भारत के हिंदू हृदय सम्राट बालासाहब ठाकरे और उनकी असलियत

अक्सर कुछ लोग ये कहते पाए जाते कि उद्धव ने बाप का नाम डूबा दिया और हिंदुत्व की राह छोड़कर सोनिया का दामन पकड़ लिया । पर क्या ये सत्य है ? कही ऐसा तो नहीं कि ये परिवार कभी हिंदू हृदय सम्राट था ही नहीं । कही ऐसा तो नहीं कि हिंदू हृदय सम्राट हमेशा से ही फैब्रिकेट किया जाते रहे हो ? जैसा कि आज भी हो रहा है । हम कभी यति नरसिम्हा में तो कभी पुष्पेंद्र जी में मोदी से बड़ा हिंदू देखने लगते है और उनकी कट्टर बाते सुनकर संघ परिवार को गाली देने लगते है।

बिल्कुल फेब्रिकेशन किया गया हो ऐसा भी मेरा दावा नहीं है क्योंकि व्यक्ति में बदलाव भी संभव है। स्वयं मेरी सोसाइटी में भी एक उदाहरण है एक ताजे ताजे हिंदू हृदय सम्राट का, जिसने कभी हमे राम मंदिर के लिए 100 रुपए भी देने के लिए भी मना कर दिया था और घर के सामने से हट जाने के लिए कहा था । 

अब हमने तय करना है कि किस हिंदू हृदय सम्राट ने चोला पहना और किसका हृदय परिवर्तन हुआ है और कौन मां के पेट से हिंदू हृदय सम्राट है।

आर्यन की लिखी "ठाकरे कहानी" पढ़ते है और तय करते है। 

राजनीति के अपने शुरूआती दिनों में बाल ठाकरे द्वारा मुंबई नगरपालिका में मुस्लिम लीग का समर्थन किया गया था। 70 और 80 के दशक में बाल ठाकरे और यूसुफ खान (दिलीप कुमार) रात को इकट्ठे जाम टकराया करते थे उनके घर। बाल ठाकरे द्वारा लिखित जीवनी अनुसार वह दोनों जिगरी दोस्त बन गए थे और एकसाथ बीयर पिया करते थे। पूरी जिंदगी बाल ठाकरे 3 चीजों के बहुत शौकीन रहे मटन बिरयानी, शैम्पेन और क्यूबन सिगार। बाल ठाकरे अपने लिए स्पैशली मोहम्मद अली रोड की मटन बिरयानी मंगवाया करते थे।

अपनी लिखी जीवनी अनुसार 70 के दशक में बाल ठाकरे मुंबई में रोज रात होने वाली महफिलों में शिरकत करते थे जिसमें हाजी मस्तान और तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मंत्री भी शामिल होते थे। यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार की माफिया हाजी मस्तान से बहुत गहरी दोस्ती थी और ठाकरे से भी। बाल ठाकरे लिखते हैं “एक शाम… पार्टी में कांग्रेस सरकार के मंत्री ने बहुत ज्यादा पी ली थी, लेकिन वह पार्टी में अकेले ही गाड़ी चलाकर आए थे। मैने उस मंत्री को अपनी गाड़ी में बिठाया घर छोड़ने के लिए। वह कांग्रेसी मंत्री इतने नशे में था कि मेरी गाड़ी में ही उसने पेशाब कर दिया”

जब देश में इमरजेंसी लगी तो… कांग्रेस सरकार द्वारा फोन पर बाल ठाकरे को धमकी दी गई के, “अच्छे से नए कपड़े पहनकर रेडियो स्टेशन जाकर इमरजेंसी का समर्थन करो या आज रात अपनी गिरफ्तारी को चुन लो ”। इस धमकी से बाल ठाकरे इतना भयभीत हुए कि उन्होंने हूबहू वैसे ही आदेशों का पालन किया।

मुंबई बम धमकों से पहले बाल ठाकरे दाऊद से बहुत डरते थे… बम धमाकों के बाद जब केंद्र की नरसिम्हा सरकार ने मुंबई में कंट्रोल अपने हाथ लियाउसके बाद बाल ठाकरे दाऊद के खिलाफ बोलने लगे, लेकिन यह बयानबाजी सिर्फ अखबारों तक सीमित थी… बम धमाकों से आहत लोगों की भावनाएं कैश करने के लिए… लेकिन उसके 4 साल के भीतर बाल ठाकरे ने एकाएक दाऊद पर बोलना बंद कर दिया… शरद पवार के प्रयासों से दोनों पक्षों में मांडवली हुई और दाऊद द्वारा बाल ठाकरे की पार्टी को भी चंदा दिया जाने लगा। बाल ठाकरे और शरद पवार के बीच पारिवारिक रिश्ते बहुत मजबूत थे… दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री वसंत दादा पाटिल के दायां हाथ और बायां हाथ थे।

दाऊद - ठाकरे के बीच सुलह होने का नतीजा था, ISI के करिंदे जावेद मियांदाद जोकि कराची बैठे दाऊद इब्राहिम का समधी बन चुका था… मातोश्री में उसकी मेहमानवाजी की जाती है बाल ठाकरे द्वारा और बाल ठाकरे की पसंदीदा मटन बिरयानी खिलाई जाती है जावेद मियांदाद को डिनर में।

जैसे ही केंद्र में सोनिया सरकार आई और महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार… बाल ठाकरे ने वापिस से मराठी प्रांतवादी राजनीति पकड़ ली… जिससे महाराष्ट्र में अचानक उत्तर भारतीयों, हिन्दी भाषियों, दक्षिण भारतीयों, गुजरातियों, मारवाड़ियों के खिलाफ हिंसा होनी शुरू हो गई। फिर लगातार दो राष्ट्रपति चुनावों में बाल ठाकरे द्वारा कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान करना… संसद में कांग्रेस द्वारा लाए बिल पास करवाने के लिए समर्थन देना… इन संबंधों की शुरुआत हो गई।

कहानी समाप्त

ये कहानी उन कार्यकर्ताओं के लिए बड़ा सेटबैक है जिन्होंने उत्तर भारत में भी 90 के दशक से शिव सेना के ऑफिस खोलकर हिंदुत्व की मशाल जगाई हुई है पर उनका सम्बन्ध मुंबई से है या नहीं ये वो जानते है या ठाकरे क्योंकि जब उनकी जान पर बन आती है तो कोई केंद्रीय शिव सेना सपोर्ट नहीं आती । स्थानीय संघ कार्यकर्ता ही उनकी मदद के लिए आगे आते है ।

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