वेदों में विज्ञान: आत्मा, ऊर्जा और चेतना की खोज

कनाडा के कुछ होशियार वैज्ञानिकों ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलगरी के एक अंधेरे कमरे में चूहों को रखकर देखा कि उनके शरीर से बहुत ही धीमी रौशनी निकल रही है। जी हाँ, इतनी धीमी कि वो सिर्फ हाई-टेक कैमरों से ही दिखाई देती है, नंगी आँखों से नहीं।
 
फिर उन्होंने वही चूहे मार दिए — और देखा कि वो रौशनी एकदम गायब हो गई।
 
अब वैज्ञानिकों की आँखें चौंधिया गईं – "अरे! जब तक जान है, रौशनी है… मौत के बाद सब बंद! ये तो कुछ गड़बड़ है भाई!"
 
और फिर उन्होंने कहा: "हमने एक नई खोज की है! जीवित शरीर क्वांटम बायोफोटॉन उत्सर्जन करता है, जो मृत्यु के समय बंद हो जाता है।
 
ध्यान दीजिएगा — "आत्मा" नहीं बोला उन चालाक लोमड़ियों ने! प्रकाश उत्सर्जन, क्वांटम फील्ड, एनर्जी डिस्चार्ज सब कुछ बोलेंगे… बस "आत्मा" नहीं बोलेंगे क्योंकि बोलने से उन्हें उनके बौनेपन का एहसास होगा।
 
गोबर को ऑर्गेनिक बायो-फर्टिलाइज़र कहेंगे , 
तुलसी को एंटी-वायरल इम्यून-बूस्टर हर्ब कहेंगे, 
ध्यान को माइंडफुलनेस मेडिटेशन कहेंगे,
गुरुत्वाकर्षण को ग्रैविटी कहेंगे और फिर उसकी खोज का क्रेडिट भी खुद ले लेंगे।
 
हमारे ग्रंथों में जब पुष्पक विमान उड़ता देखकर वो बोले — "हाहाहा! ये क्या बकवास है?" फिर एक दिन नासा ने कहा कि — "एंशियंट इंडिया मे हैव ट्रायड एयरोडायनामिक शेप्स।" अर्थात: प्राचीन भारत में वायुगतिकीय आकृतियों पर प्रयोग हुआ होगा।
 
अब एमआईटी में एन्सियेंट एयरोनॉटिक्स टेक्नोलॉजी स्टडीज़ अर्थात: प्राचीन विमानों पर आधुनिक शोध पढ़ाई जा रही है — और हमारे बच्चे वही पढ़कर नौकरी ढूंढ रहे हैं!
 
तुलसी ने इनको छींक दिलाई, तो इन बंदरों ने उसे एंटी-वायरल बना दिया। 
आप तुलसी को जल चढ़ा रहे थे, वो उसे लैब में उबाल रहे हैं। आपने जब कहा "बाबा तुलसी का काढ़ा पी लो।" तो वो बोले "ये क्या बकवास है?" 6 महीने बाद वही नासा ने कहा "ओसिमम सैंक्टम हैज़ एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज़।"अर्थात: तुलसी में सूजन कम करने वाले गुण हैं। अब अमेरिका में हर स्टारबक्स में तुलसी लाटे ₹500 में बिक रही है।
 
जब तक हमने कहा "आत्मा शरीर में रहती है", तब तक वो ढकोसला था। अब जब वो कह रहे हैं कि "क्वांटम लाइट डिसअपीअर्स आफ्टर डेथ"अर्थात: मृत्यु के बाद सूक्ष्म प्रकाश लुप्त हो जाता है तो बन गया ब्रेकथ्रू साइंस एक क्रांतिकारी खोज....
 
आत्मा पहले भी थी, अब भी है — फर्क बस इतना है कि पहले वो पूजा में थी, अब पेटेंट में है।
 
वेद कहता है — “येन जीवति, स आत्मा।” अर्थात: जिससे जीवन चलता है, वही आत्मा है।
 
गीता में कृष्ण बोले — “न हन्यते हन्यमाने शरीरे।” अर्थात: आत्मा शरीर के मरने से नहीं मरती।
 
उपनिषद बोले — “अग्निरिव तेजसा।”अर्थात: आत्मा स्वयं प्रकाशमय है। तो वो सब माइथोलॉजी और अप्रासंगिक थे..और ये सूछ्म प्रकाश खोज लिए तो बड़का वैज्ञानिक बन गये।
 
अगली बार जब कोई पश्चिमी गुलाम बोले कि "साइंस ने एक नई ऊर्जा खोजी है जो मृत्यु के साथ बंद हो जाती है", तो मुस्कराकर कहिए कि "भाई, तुमने आत्मा की पूंछ पकड़ ली है… पूरा हाथ अभी बाकी है...तुमने जो माइक्रोस्कोप और हाई-टेक कैमरों से देखा, उसको हमारे पूर्वजों ने ध्यान में देखा था...
फर्क बस इतना है कि तुमने उसे पेटेंट किया, हमने उसकी पूजा की..तुलसी हो चाहे पीपल हो ...हमने सब मे ईश्वर का वास मान के उसकी पूजा की।

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