धर्म और राजनीति पर सपाट चिंतन: आधुनिक हिंदू की दुर्गति



आधुनिक कुशिक्षित हिन्दू समुदायों ने दो चीजों के विषय में बहुत ही रोचक और सपाट धारणाएं पाल रखी हैं।
 यह ईसाई मिशनरियों की अद्भुत सफलता हैं और यूके यूएसए के राजनीतिक बौद्धिक एकाधिपत्य की कुंजी है।

एक तो ईश्वर के विषय में मोटी-मोटी बातें बच्चों जैसी करके वह समझते हैं कि वह कोई बहुत ही ज्ञान की बात कर रहे हैं ।।
जिस देश में इतना विस्तार से और इतनी गहराई से आध्यात्मिक विषयों पर व्यक्ति सत्ता,समुदाय सत्ता रोक, परम सत्ता:- इन सब विषयों पर जीवन के अनंत आयामों पर अकल्पनीय विस्तार से चिंतन मनन हुआ है अदभुत गहराई के साथ ,
वहां ईश्वर जैसे सर्वोच्च विषय पर सपाट चर्चा करने वाले अपने आप को धर्म और आध्यात्मिक ज्ञान का जानकार मानते हैं ।
दूसरी मजेदार स्थिति यह है कि राजनीति जैसी अनंत काल से शक्ति की क्रीडा क्षेत्र और क्रिया क्षेत्र की वस्तु को कतिपय विचारों में निगमित करके देखना और यह मानना कि राजनीति विचार के आधार पर चल रही है और हिंदू अगर वोट देते हैं तो वह विचार के आधार पर देते हैं और अगर वोट नहीं देते तो हिन्दुत्व को अस्वीकार कर दिया गया है।
 अपने को हिंदू ना कह कर भी जनता में अपने हिंदू होने का आभास देने वाली किसी पार्टी को अगर वोट नहीं दिया तो वह सब हिंदुत्व से विमुख हो गए।
और अपने को ऊपर शीर्ष स्तरों पर सेकुलर सोशलिस्ट आदि बताने वाले और निपट जातिवादी तीन तिकड़म और लेनदेन और संबंध बनाकर लोगों के निचले स्तर पर भारतीयों की कतिपय निम्न लालसा जगा कर उनको सहला कर वोट जुटा लेते हैं तो इसे उनके उस बहु प्रचारित सोशलिस्ट या सेक्युलरिस्ट या तरह तरह के उटपटांग विचारों की विजय माना जाता है यानी राजनीति जैसी बहुआयामी और जटिल प्रक्रिया को इतने स्थूल रूप में समझना। यह दयनीय स्थिति का एक दूसरा प्रकार है।
कई बार दोनों को देखकर चकित रह जाना पड़ता है पर बस देखते रहना पड़ता है। बस।
 इन दिनों सोशल मीडिया में ऐसे बंदरों का हुजूम देखने में आ रहा है जो यह बताता है कि हिंदुत्व का विचार अमुक पार्टी का है,अमुक का नहीं है और इसलिए लोग वोट अगर उसे देते हैं तो वह उनके पक्ष में है यानी हिंदुत्व के पक्ष में है ।अगर उनको नहीं देते तो हिन्दुत्व के विरोध में है।

 इससे यह तो पता चलता है कि यह अति सामान्य बुद्धि के लोग हैं और यह देखकर आश्चर्य भी होता है कि जो लोग अपने घर की छोटी-छोटी जरूरत के विषय में इतना विस्तार से सोचते हैं घर गृहस्ती खाना-पीना शादी ब्याह सब पर विस्तार से सोचते हैं ,
वह सत्ता और परम सत्ता जैसे सर्वोच्च विषयों पर इतना मंदबुद्धि से और सपाट बुद्धि से सोचते हैं ।
आश्चर्य।

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