भारत के परमाणु इतिहास को चुनौती देने वाले एक चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन में, दिसंबर 1974 का एक गोपनीय अमेरिकी राजनयिक केबल, जो हाल ही में विकीलीक्स के माध्यम से सामने आया है, बताता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को भारत द्वारा विकसित न्यूक्लियर तकनीक को देने का प्रस्ताव दिया था।
यह एक अजीब विरोधाभास है, खासकर तब जब तीन साल पहले यानी 1971 में पाकिस्तान ने ऑपरेशन चंगेज खान शुरू किया था, जिससे पूरे पैमाने पर युद्ध छिड़ गया था। फिर भी, गांधी की 1974 नाभिकीय तकनीक को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो से साझा करने को उतावली थीं।
कांग्रेसी इंदिरा गांधी को लौह महिला के नाम से संबोधित करते हैं, उन्हें अटल जी द्वारा दुर्गा कहे जाने की बात जन जन तक पहुंचाते हैं। जबकि अटल जी ने स्वयं इस बात से इनकार किया था कि ऐसा कुछ उन्होंने कहा। तथाकथित लौह महिला का पूर्वार्ध गूंगी गुड़िया के रूप में बीता और 1971 का युद्ध अमेरिका की सरपरस्ती में हुआ। अमेरिका ही भारत के दोनों तरफ दो दुश्मन देश बनाकर भारत समेत दक्षिण एशिया में अपनी दादागिरी जमाना चाहता था। यही तथाकथित लौह महिला पाकिस्तान द्वारा बनवाए गए झेलम नदी पर बांध को लेकर पाकिस्तान को तब बधाई देती है जब 1965 में पाकिस्तान हम पर आक्रमण कर चुका था।
गूंगी गुड़िया का बावला बेटा सत्ता के समांतर अपना दरबार लगता था। नसबंदी, आपातकाल जैसे कार्यक्रम इंदिरा गांधी के न होकर संजय गांधी के नितांत व्यक्तिगत इगो की देन थे।
कांग्रेस के लोग भले ही कितनी जोर से इंदिरा गांधी को लौह महिला बताएं लेकिन शिमला समझौते से भारत बिना अपने एक भी सैनिक लिए, पाकिस्तान से जीती जमीन और उनके सारे सैनिक छोड़कर खाली हाथ वापस आया तो इस लौह महिला का झूठा व्यक्तित्व भरभरा कर धूल धूसरित हो जाता है।
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