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भक्ति के सहारे मध्यकाल की तलवार और बारूद को झेल लेने वाले हिंदुओं को आज भक्ति मार्ग पर चलने पर उपहास का पात्र बनाया जा रहा है। तमाम हिंदू हितकारियों ने भक्ति प्रदायिनी कथा और उनके वाचकों के विरुद्ध विष का वमन किया, और कर रहे हैं। एक हिंदू हितकारी ने कहा कि अमुक कथा वाचक की कथा में महिला नृत्य कर रही थी तो इस कारण हिंदू गुलामी की ओर बढ़ रहा है। उस हितकारी को केवल विष बोलना है, उसे यह पता नहीं कि एक राम भक्ति का आसरा लेकर बाबा तुलसी ने हिंदुओं की आत्मा को प्रखर कर दिया। सूर केशव कबीर दादू रैदास रामानंद जैसे महान भक्तों ने हिंदुओं का मुकुट सम्भाल कर रखा।
भक्ति वह मार्ग है जो आपको अपने ईष्ट, अपनी व्यवस्था विचार के प्रति एकनिष्ठ बनाता है। भक्ति निकाल दो हिंदू प्राणहीन हो जाएगा।
प्रेमानंद से लेकर बागेश्वर धाम सरकार तक को गाली देने वाले तथाकथित हिंदू हितकारी क्या करना चाहते हैं? उन्हें कौन उकसाता है, उन्हें कौन ज्ञान देता है?
टेस्टामेंट का मुकाबला आपकी रामचरित मानस करेगी, जोशुआ वालों ने बीच में मानस के प्रति घृणित अभियान चलाया था, वह इसलिए कि हिंदुओं के हृदय से भक्ति समाप्त हो जाए तो उन्हें घृणा के आधार पर तोड़ना आसान हो जाएगा।
कृष्ण भक्ति, राधा की भक्ति, गुरु की भक्ति, राम की भक्ति, हनुमान की भक्ति, देवी माता की भक्ति, शिव की भक्ति या किसी भी तत्व की भक्ति हिंदुत्व की भक्ति है। यह वह धागा है जो हिंदुओं को एकजुट करता है, यह वह शक्ति है जिससे समाज युद्ध करने की, अपनी रक्षा के लिए शस्त्र उठाने की प्रेरणा पाता है।
मैं बार बार कहता हूं, ज्ञान, प्रेम और शौर्य का संतुलन हिंदुत्व को दृढ़ और अटल करेगा। इसमें से किसी एक की उपेक्षा हमें भारी पड़ेगी। कोई भक्ति कर रहा है तो उसके हाथ में तलवार नहीं है यह कहकर उसका अपमान नहीं करो। किसी ने तलवार थाम रखी है तो वह योद्धा है, अहिंसा के नाम का जाप मत करो।
एक दूसरे की हिम्मत बनो, हीन भावना नहीं।
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