इस्लाम और जिहाद कैसे काम करता है।

विश्वविद्यालय में जब थोड़ा सा सक्रिय हुआ था तो एक लड़की है मिश्रा उसका मामला सामने आया था। फिर धीरे धीरे कई सारे मामले आए। जिनमें एक मुसलमान लड़कों के गिरोह का मामला भी मेरे प्रकाश में आया। आज इसी पर चर्चा कर लेते है, तीन चार दिन से सोच रहा था इस पर लिखने के लिए। तो शुरू करते हैं।

विश्वविद्यालय में जितने भी मुस्लिम लड़के हैं सबका आपस में एक गिरोह है। सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। और जब भी कोई मसला होता है तो पूरा गुट एक साथ खड़ा होता है। हालांकि ये बहुत कम लोगों की जानकारी में है। ये लोग बहुत ही चालाकी से कार्य करते हैं। 

मेरा एक मित्र है उसने विश्वविद्यालय के ही किसी व्हाट्सएप ग्रुप में कुछ लिख लिखा दिया होगा जब अतीक मारा गया था, तो उसको पूरा गुट कई दिनों तक खोजता रहा। हालांकि उसकी आइडेंटिटी लीक नहीं हुई। उसके बारे में पता करने के लिए एक दो को धमकाया भी गया उस गिरोह द्वारा। 

इस गिरोह के विषय में सबसे पहले उसी ने जानकारी दी थी। ये लोग बहुत ही चालाकी से और बहुत ही सीक्रेट तरीके से काम करते हैं। इन सबको इसकी ट्रेनिंग मिलती है। मेरे सोर्सेज के मुताबिक ये सभी लोग एक तय पार्टिकुलर दिन किसी न किसी पहले से तय मस्जिद या स्थान पर मिलते हैं। 

और निरंतर एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं। जब ये सभी मिलते हैं तो वहां पर ही जो इन सबको कंट्रोल करते हैं वो भी आते हैं। वो इनको हर चीज की ट्रेनिंग और उसके लिए जरूरी सामान मुहैया कराते हैं। इनको वहां से कोऑर्डिनेशन मिलता है। 

इन सबका अंतिम उद्देश्य हिंदू लड़कियों को फंसाना, उन्हें भ्रष्ट करना और उनका कन्वर्शन करना होता है। मिश्राइन भी उसी का एक उदाहरण है। इन सभी मुस्लिम लड़कों को ये सब करने के लिए प्रॉपर फंडिंग आती है। और इस पैसे से ये हिंदू लड़कियों को बाइक में घुमाते हैं। 
लड़कियां भी १२ के बाद दुनिया देखती हैं तो बहुत अधिक जानकारी नहीं होती है देश दुनिया और इनके इस्लामिस्ट एजेंडा की। तो फर्स्ट ईयर सेकेंड ईयर की लड़कियां आसान टारगेट होती हैं। थोड़ा सा भौकाल दिखा दो पर जाती हैं। इसके लिए ये पूरी स्ट्रेटजी के साथ कार्य करते हैं।

जिनमें से खुद को सेकुलर और बहुत ही खुले विचारों का दिखाना प्रमुख है। यही से मेरा अब्दुल ऐसा नहीं है का विचार पनपता है। इस्लाम की सच्चाई ये है कि जितना पढ़ा लिखा वो उतना शातिर और उतना बड़ा इस्लामिस्ट होता है। 

इसके बचाव का उपाय है हिन्दू लड़कियों को अपने हिन्दू ग्रंथों के साथ कुरान अवश्य पढ़ाई जानी चाहिए।

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