उन्होंने शासन चलाया तो रामराज्य की परिकल्पना सचित्र हो आई, जब युद्ध लड़ा तो श्रीकृष्ण सा चातुर्य भी दिखा और साक्षात दुर्गा सा पराक्रम। उन्होंने मुघलो द्वारा तोड़े हुए सनातन धर्म के तीर्थों का जीर्णोद्धार कर इतिहास बनाया,उनके द्वारा बनवाये हुए मंदिर घाट, अन्न छत्र, कूप, बावड़ी इत्यादि आज भी हर तीर्थ क्षेत्रों में देखे जा सकते है !
अहिल्याबाई ने नये प्रदेश बढ़ाने की इच्छा नही की, बल्कि जो प्रदेश था उसी को संभालते हुए अपनी प्रजा को सुखी रखना उन्होने अपना लक्ष्य बना लिया। उनके द्वारा स्थापित महेश्वर तीर्थ कला ज्ञान विज्ञान आदि का केंद्र बन गया...
उनका सारा जीवन वैराग्य, कर्त्तव्य-पालन और परमार्थ की साधना, प्रजा वत्सलता का पर्याय बन गया। भगवान शकंर की वह अनन्य भक्त थी। बिना उनके पूजन के पानी तक ग्रहण नहीं करती थी..सारा राज्य उन्होने शिव चरणों में अर्पित कर रखा था और उनकी सेविका बनकर शासन चलाती थी।
"संपति सब रघुपति के आहि"—सारी संपत्ति भगवान की है, इसका राजा भरत के बाद प्रत्यक्ष और एकमात्र उदाहरण शायद वही थीं। राजाज्ञाओं पर हस्ताक्षर करते समय अपना नाम नही लिखती थी। नीचे केवल "श्रीशंकर" लिख देती थी..
उनके रूपयो, राज मुद्रा पर शिवलिंग और बिल्व पत्र का चित्र अंकित है ओर पैसो पर नंदी का। तब से लेकर भारतीय स्वराज्य की प्राप्ति तक इंदौर के सिंहासन पर जितने राजा आये सबकी राजाज्ञाएं जब तक श्रीशंकर की आज्ञा के बिना जारी नही होती, तब तक वह राजाज्ञा नही मानी जाती थी ओर उस पर अमल नही होता था..
यह लोकमाता पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकर के पुण्य सद्कर्मों, धर्म और आराध्य के प्रति उनकी निष्ठा का ही प्रतिफल है कि समाज उनका आदर्श साथ लेकर चलता है, लोग अपनी बच्चियों को उनकी तरह बनने की प्रेरणा देते है...जेजुरी गढ़ पर स्थित उनके कुल देव श्री मल्हारी मार्तंड खंडोबा के मंदिर प्रांगण और श्री काशी विश्वनाथ धाम में उनकी प्रतिमा लगी हुई है, जीवन की इससे अधिक उपलब्धि क्या ही होगी ??
राजमाता पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर को आज उनकी 300 वीं जन्म जयंती पर सादर नमन वंदन प्रणाम हर हर महादेव पहुँचे... ये देश आपका ही है माँ..आपके आशीर्वाद की छाँव हम सभी पर बनी रहें.....👏🚩🚩🚩
हर हर महादेव 🌹🙏
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