आप 100 करोड़ होने पर भले खुश हो लें पर शायद आप मात्र 10 करोड़ ही हैं


आधे सेकुलर हैं जो धर्म के कॉलम में ह्यूमन बीइंग टाइप की चीजें लिखने का आंदोलन कर रहे, कुछ वामी, कुछ जातिवादी कुछ मौसमी टिड्डियाँ हैं जो फसल देख कर भक्त बनने का ढोंग करते हैं। आपत्तिकाल में धर्म ध्वजा को झुकने न देने वाली की संख्या ही वास्तविक सनातन संख्या मानी जानी चाहिए।

आपत्तिकाल क्या है? जाहिर सी बात है कि धारा 352 या 360 आपातकाल नही है, आपातकाल यह है कि हम अपनी पहचान के प्रति उदासीन हैं, हम अपनी पहचान के लिए नेताओं का मुंह ताकते हैं। आपातकाल आपके विरुद्ध जोशुआ प्रोजेक्ट और देवबंदी मुहिम है। 

इससे निपटने के लिए आप क्या कर रहे हैं? आप मोदी को गाली दे देते हैं, आप टीवी में बहस देखकर संतुष्ट हो रहे हैं, ज्यादा से ज्यादा आप थोड़ी बहुत चिंता कर लेते हैं? आपको लगता है कि आप तो निजी जीवन मे बहुत अच्छे सनातनी हैं तो बाकी की क्या चिंता करना।

रुकिए, आस पास नज़र दौड़ाइये, शक्ति संतुलन देखिए। आप पाएंगे कि आप खोखले हैं। हर जगह वे अपना मकड़जाल फैलाते जा रहे हैं। यह कार्य बहुत संगठित और योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है। 

साहित्य, राजनीति, शिक्षा, व्यापार खासतौर से असंगठित क्षेत्रों में आप हाशिये पर हैं। उनका सार्वजनिक पूजा करना मान्य है प्रगतिशीलता है पर आप का अपराध है।

आपका व्यक्तिगत अहंकार आपको अकेला कर रहा है। एक दिन इसी अहंकार के चलते आप भी कैद कर लिए जाएंगे।

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