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सनातन धर्म
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आज का भारत वैश्विक मंच पर एक नई शक्ति के रूप में उभर रहा है। विज्ञान, तकनीकी, अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका लगातार मजबूत हो रही है। लेकिन यह सफलता केवल आधुनिकता के आयामों पर आधारित नहीं है। इसके पीछे भारत की गहरी सांस्कृतिक जड़ें और सनातनी विचारधारा की शक्ति भी है, जिसने इस राष्ट्र को अनगिनत संकटों के बीच टिके रहने और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।
सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं है; यह जीवन का एक तरीका है, जो समय और स्थान से परे है। यह मानवता के लिए एक ऐसा मार्गदर्शन प्रदान करता है, जो न केवल व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता देता है, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज के दौर में, जब भौतिकतावाद और उपभोक्तावाद मानव जीवन पर हावी हो रहे हैं, सनातनी विचारधारा मानवता को संतुलन, शांति और आत्मज्ञान की राह पर ले जा सकती है।
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता की बात करता है, लेकिन भारतीय समाज की आत्मा सनातन धर्म में निहित है। यह वही विचारधारा है, जिसने सहिष्णुता, विविधता और समरसता के मूल्यों को पोषित किया है। सनातन धर्म का दर्शन केवल धर्म तक सीमित नहीं है; यह जीवन के हर पहलू को छूता है—आध्यात्मिकता, पर्यावरण, शिक्षा, और यहां तक कि अर्थव्यवस्था।
आधुनिक युग में, जब पर्यावरण संकट, सामाजिक असमानता और मानसिक तनाव जैसे मुद्दे उभर रहे हैं, सनातनी दृष्टिकोण इन समस्याओं का समाधान प्रदान करता है। सनातन धर्म की पर्यावरण के प्रति श्रद्धा हमें सिखाती है कि प्रकृति केवल उपयोग की वस्तु नहीं है, बल्कि वह एक जीवंत इकाई है, जिसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। "वसुधैव कुटुंबकम्" का सिद्धांत, जो पूरे विश्व को एक परिवार मानता है, आज की वैश्विक राजनीति और कूटनीति के लिए सबसे प्रासंगिक है।
युवाओं के संदर्भ में, सनातनी विचारधारा उन्हें उनके मूल्यों से जोड़ने और उन्हें एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देती है। शिक्षा के क्षेत्र में सनातन धर्म का दृष्टिकोण "ज्ञान" को केवल नौकरी पाने का माध्यम नहीं मानता, बल्कि यह "स्वयं को जानने" का मार्ग है। इसी कारण, आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि युवा न केवल तकनीकी रूप से कुशल बनें, बल्कि वे नैतिकता और सहानुभूति से भी परिपूर्ण हों।
भारत की राजनीति में सनातनी विचारधारा की भूमिका भी आज की चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय है। यह विचारधारा केवल सत्ता और ताकत के पीछे नहीं भागती, बल्कि वह "धर्मराज्य" की परिकल्पना करती है, जहां शासन का उद्देश्य न्याय, कल्याण और समाज की भलाई हो। सनातन धर्म का "सर्वे भवंतु सुखिनः" का सिद्धांत आज के समय में कल्याणकारी नीतियों का आधार हो सकता है।
सनातन धर्म की अद्भुत बात यह है कि यह स्थिरता और परिवर्तन के बीच संतुलन बनाए रखता है। यह एक ऐसा विचार है, जो परंपराओं का सम्मान करता है, लेकिन वह समय के साथ बदलाव को भी स्वीकार करता है। यही कारण है कि यह विचारधारा कभी भी अप्रासंगिक नहीं हो सकती।
आज जब विश्व भारत की ओर देख रहा है, तो यह जरूरी है कि हम अपनी सनातनी जड़ों को पहचानें और उन्हें आधुनिकता के साथ संतुलित करें। सनातन धर्म की शिक्षाएं न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक मार्गदर्शक बन सकती हैं। यह वह विचारधारा है, जो हमें मानवता के उच्चतम आदर्शों की ओर ले जाती है।
विश्व में जितने भी धर्म हैं, सम्प्रदाय हैं, जो ईश्वर और धर्म पर विश्वास रखते हैं। उनमें जो परस्पर मतभेद है, वो संघर्ष का बीज बपन करते हैं। इससे समाज में विघटन होता है। जैसे स्टेशन पर रिक्शे वाले और टैक्सी वाले आपस में लड़ते हैं और कहते हैं कि हमारी टैक्सी में बैठो, वैसे ही ये लोग अपने-अपने अनुयायियों को बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे हैं। किंतु प्रश्न ये उठता है कि यदि ईश्वर ने सृष्टि की रचना की है और मनुष्य की रचना भी ईश्वर ने ही की है तो मनुष्य के लोक परलोक के कल्याणार्थ किसी धर्म का उपदेश भी अवश्य ही किया होगा।
वो धर्म कौन सा है? जो सर्व प्रथम ईश्वर के द्वारा प्रदत्त है वही ईश्वरीय धर्म है। ये मानना होगा कि जो सनातन धर्म है वह किसी व्यक्ति के द्वारा चलाया गया नहीं है। ये परम्परा से चला आ रहा है। भगवान भी जब अवतार ग्रहण करके इस धराधाम पर आते हैं तो धर्म का प्रवर्तन नहीं करते हैं वो धर्म की रक्षा ही करते हैं। अत: सनातन धर्म अनादि है।
ऐसा कोई सनातन धर्मी नहीं होगा जिसके माता पिता सनातन धर्मी न हों। इसका कोई प्रवर्तक नहीं है, इसलिए यह सनातन है। सना का अर्थ सदा और तन का अर्थ रहने वाला है। अर्थात् जो सदा रहने वाला है वही सनातन धर्म है। सनातन परमात्मा ने सनातन जीवों के लिए सनातन वेद शास्त्रों के द्वारा जो प्राणियों के सनातन अभ्युदय नि:श्रेयस के लिए मार्ग बताया वह सनातन धर्म है। और वही ईश्वरीय धर्म है।
Very informative based on truth.
जवाब देंहटाएंविश्व में धर्म केवल एक ही है सनातन धर्म अर्थात हिन्दू धर्म।
जवाब देंहटाएंबाकी सब मत, मजहब, संप्रदाय, रिलीजन है, क्योंकि धर्म का कोई प्रवर्तक नहीं होता है, उपदेशक नहीं होता है, धर्म की कोई एक पुस्तक या ग्रंथ नहीं होता है, धर्म का एक निश्चित तीर्थ स्थल या आस्नथआस्हींथल होता है।
इसलिए सनातन या हिंदू धर्म विश्व के अन्य मत, मजहब, रिलिजन, संप्रदाय से अलग है और यही एकमात्र धर्म की कसौटी पर खरा उतरता है