Critical Race Theory से Caste Politics तक: भारत की आत्मा पर हमला

आर्थिक भूगोल के महत्व का वर्णन कीजिए ?

आज का विद्यार्थी कल का नागरिक है। भविष्य में उसे जीवन के क्षेत्रों में कार्य करना पड़ेगा। आर्थिक भूगोल के अध्ययन का जीवन के सभी आर्थिक क्षेत्रों में विशेष महत्व है। जीवन के प्रमुख क्षेत्रों में इसके अध्ययन की उपयोगिता का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-


1. कृषि क्षेत्र में-हमारा कृषक वंश परम्परा से कृषि करता आया है। वह अपने व्यवसाय में पर्याप्त निपुण है परन्तु फिर भी अनेकों ऐसी बातें हैं जो वह अन्य देशों के अनुभव से सीख सकता है। भावी कृषि परम्परा से भी वह बहुत कुछ सीख सकता है परन्तु आर्थिक एवं वाणिज्य भूगोल का विद्यार्थी रह कर उसे अपने कार्य करने में सुगमता रहेगी और अनेक नवीन बातों का भी ज्ञान हो जायेगा। आर्थिक भूगोल से यह ज्ञात होता है कि देश के भिन्न- भिन्न भागों में मिट्टी किस प्रकार की है? किस मिट्टी से क्या वस्तु अधिक उगती है? कहाँ किस प्रकार की खाद दी जानी चाहिए।

देश में किन वस्तुओं की अधिक आवश्यकता है? किन व्यापारिक फसलों की माँग है और उनके उत्पादन से कैसे अधिक लाभ हो सकता है? देश में कृषि सम्बन्धी शोध कहाँ- कहाँ किये जाते हैं ? उसे अपने पथ-प्रदर्शन के कहाँ-कहाँ से मार्ग प्रदर्शन मिल सकता है? कृषि की विधियों में क्या और किस प्रकार परिवर्तन किये जाते हैं ?

2. उद्योग क्षेत्र में-उद्योगपति की आर्थिक भूगोल के ज्ञान में यह ज्ञात हो जायेगा कि कहाँ से कौन-कौन से कच्चे माल के पदार्थ-अपेक्षाकृत सस्ते मूल्यों पर और सुगमता से प्राप्त हो सकते हैं। शक्ति के साधन, मशीनरी, खनिज पदार्थ और रसायन इत्यादि आवश्यक वस्तुएँ कहाँ से और कैसे सुलभ हो सकती हैं? कहाँ किस शक्ति के साधन का उपयोग उचित रहेगा ? किस उद्योग के लिये कौन-से स्थान, श्रम, शक्ति एवं कच्चा माल इत्यादि सुविधाओं की दृष्टि से उपयुक्त है? खनिज उद्योगों में संलग्न व्यक्ति यह ज्ञात कर सकता है कि कौन-से खनिज कहाँ अधिक मिलते हैं तथा वे क्षेत्र पहुँच के भीतर हैं या नहीं, इसका शोषण आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद रहेगा या नहीं? इत्यादि-इत्यादि ।

3. राजनीति क्षेत्र में - राजनीतिज्ञ को आर्थिक भूगोल के अध्ययन से यह ज्ञात हो जाता है है कि देश की आर्थिक अवस्था में क्या दोष है? उसका देश आर्थिक विकास के किस स्तर पर है? देश का सन्तुलित विकास कैसे सम्भव है ? किस देश में किस देश की आर्थिक का वितरण कैसा है? बेकारी के कारण क्या हैं. उन्हें दर कैसे किया जा सकता है? इन कालान होने पर वह शासन तंत्र को प्रभावित करता है। देश के व्यवस्थापक सभाओं का सदस बनकर वह शासक वर्ग की आलोचना करके उन्हें सन्मार्ग पर लाने का कार्य कर सकता है।

4. शासन क्षेत्र में आर्थिक एवं वाणिज्य भगोल का ज्ञान शासक के लिए पं लाभदायक है। देश की आर्थिक व्यवस्था का समुचित ज्ञान प्राप्त करके शासक अपने देश क उन्नत बनाने का प्रयत्न कर सकते हैं। अन्य देशों से अपने देश को क्या लाभ हो सकते हैं। आयात-निर्यात की क्या नीति होनी चाहिए? किस देश के साथ कैसे व्यापारिक सम्बन्ध रखे जाने चाहिए अर्थात् कहाँ पर वैयत्तन और छावनियाँ बनाई जाएँ ?

चाहिए अपार के क्षेत्र में आर्थिक भूगोल का अध्ययन व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे यह ज्ञात हो जाता है कि किसी वस्तु की माँग कहाँ अधिक है तथा कौन-सी वस्तु है। अधिक उत्पन्न होती है। किन देशों को माल भेजने से अधिक लाभ रहेगा तथा किस देश हसे कौन-से साधनों का ज्ञान प्राप्त करके वस्तु के बाहर भेजने और मँगवाने की उचित व्यवस्था का निर्णय कर सकता है।

6. अन्वेषण के क्षेत्र में अन्वेषण क्षेत्र बहुत विस्तृत है। देश में कृषि उद्योग इत्यादि की अन्वेषण शालाएँ स्थापित हैं। जहाँ अनेक प्रकार के शोध किये जाते हैं, अन्वेषक को आर्थिक भूगोल द्वारा कृषि उद्योग इत्यादि के बारे में यह ज्ञात होता है कि इन क्षेत्रों में कहाँ सुधार की सम्भावना है। इन क्षेत्रों में प्रयास करके अन्वेषक नये-नये शोध कर सकता है जिससे कृषि, उद्योग इत्यादि में उन्नति हो सके।

7. आर्थिक योजना-आर्थिक योजनाओं के क्षेत्र में आर्थिक एवं वाणिज्य भूगोल का ज्ञान बहुत उपयोगी है। योजना बनाने वाले को इसके अध्ययन से देश की आर्थिक स्थिति का समुचित ज्ञान हो जाता है। वह यह निर्णय कर सकता है कि देश की आर्थिक सम्पत्ति का उचित उपयोग कहाँ और किस प्रकार हो सकता है। इसलिए ऐसी योजनाओं को देश के सम्मुख रखा जा सकता है जिससे आर्थिक अराजकता से रक्षा हो सके और देश का उचित विकास हो सके। वह देश की आर्थिक व्यवस्था में सन्तुलन स्थापित कर उसे समुचित रूप से नियमित कर सकता है।

8. अर्थशास्त्रियों को लाभ एक सफल अर्थशास्त्री के लए भूगोल का ज्ञान होना भी आवश्यक है। बिना इस ज्ञान के कोई अर्थशास्त्री देश की आर्थिक स्थिति को नहीं समझ सकता। अतः देश की प्रगति में योग देने के लिये अर्थशास्त्रियों को आर्थिक भूगोल का ज्ञान होना आवश्यक है।

9. श्रमिकों को लाभ इसके अध्ययन से श्रमिकों को ज्ञात हो जाता है कि उनके श्रम की कहाँ माँग है तथा उन्हें काम कहाँ मिल सकता है। इसीलिये औद्योगिक नगरों में दूर के श्रमिक पहुँच जाते हैं।

10. वस्तुओं के उत्पादन का ज्ञान-इसके पढ़ने से यह ज्ञात होता है कि कौन-कौन सी वस्तुएँ कहाँ-कहाँ उत्पन्न होती हैं और क्यों? उन वस्तुओं के उत्पादन के लिये किन- किन भौगोलिक परिस्थितियों की आवश्यकता होती है और यह परिस्थितियाँ कहाँ-कहाँ पाई जाती है?

उपर्युक्त आर्थिक भूगोल के महत्व के विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि इसका महत्व किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं है बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए है

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