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सनातन विचार ही वह प्रकाश है, जहाँ से जीवन, धर्म और कर्तव्य—तीनों का सत्य प्रकट होता है।
प्रस्तुतकर्ता
महेन्द्र सिंह भदौरिया
को
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# तन से सेवा #
इस तन का क्या करना है ?
तन निर्मित है पञ्च तत्व से, एक-एक तत्व का सन्देश विशेष,
सब सवाँरते भूमंडल को, होकर वरदान जड़-चेतन का, सब परहित ही जीते दिखते, देते रहते कुछ ना लेते, ऐसा लगता हमको यह कि हमीं स्वार्थ में जीते हैं। ईश्वर से है एक कामना, हम परहित भी जीवन जियें। जो भी गुण है अपने अन्दर, बाहर आये सेवा करने, सेवा करना कार्य ईश्वर का, राम जो चाहे अच्छा करना। मेरी सेवा ऐसी होवे --- अधर्म का जो नाश कर सके । धर्म बिना कुछ हो ना पाए, धर्म करें स्थापित हम सब । जियें धर्म हित मरें भी, तिल-तिल मरना धर्म हेतु ही। आएं हैं तो जायेंगे ही, आये नही बनकर अमर, सोचें । ।।।।'स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि'।।।।
लेखक
श्री कृष्णचंद्र जी
विभाग प्रचारक अवध (अवध प्रांत)
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
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