🤣 हमारा इतिहास बोध 🤣
नगर में हमारे एक मित्र हमे विशेष दिनो में कुछ संदेश भेजते है जिनमे कभी कभार कोई गलती मुझे मिलती है तो मैं उन्हे वापस लिखता हूं । बस मेरी इसी बात से वो भड़क जाते है और कहते कि तुम अपने को बड़े बौद्धिकबाज बनते हो, घमंड है आपको अपनी पढ़ाई पर, और आप नही जानते कि मुझे ये कितने बड़े ज्ञानी ने भेजा है ? वो बड़े ज्ञानी है और आप उनके सामने कुछ भी नही है । मेरा उनको बस एक ही जवाब होता है कि धन्यवाद आपने मुझे बताया कि देश में ऐसे ज्ञान बुद्धि के इतने बड़े बने हुए है ।
ऐसा ही आज भी हुआ । सुबह से ही पेशवा बालाजी बाजीराव (नाना साहेब) की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजली के संदेश आ रहे है । कोई उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ने वाला बता रहा है तो कोई प्रथम स्वतंत्रता सेनानी तो कोई 1857 के समर का नायक ।
Crafto app ने तो हद ही कर दी । उन्होंने पेशवा बालाजी बाजीराव (नाना साहेब) का नाम लिखकर पेशवा वंशज श्री धोड़ोपन्त जी (नाना साहेब) की फोटो लगा दी ।
जानकारी के लिए कुछ तथ्य ...
1. आज (23 जून) जिनकी पुण्यतिथि वो बालाजी बाजीराव मराठा संघ के आठवें पेशवा थे ।
2. बालाजी बाजीराव (नाना साहेब) महान अजेय योद्धा पेशवा बाजीराव भल्लाल भट्ट के बेटे थे जो उनके बाद छत्रपति साहू की के द्वारा पेशवा नियुक्त किए गए । उनके समय में मराठा साम्राज्य अटक से लेकर कटक तक फैला पर उसका नेतृत्व उनके छोटे भाई श्रीमंत रघुनाथ राव (राघोबा) ने किया था ।
3. बालाजी बाजीराव के समय ही पानीपत का युद्ध हुआ जिसका नेतृत्व उनके चचेरे भाई (चिमाजी अप्पा के पुत्र) श्रीमंत सदाशिव राव ने किया था । इस युद्ध में ही बालाजी बाजीराव का बड़ा पुत्र विश्वास राव भी मारा गया । इस युद्ध की हार और अपनो की मृत्यु के अघात से वो रुग्ण हुए और 23 जून 1761 को चल बसे । यद्यपि इनके ही पुत्र पेशवा श्रीमंत माधवराव ने पानीपत का बदला कुछ ही वर्षों बाद बहुत ही शानदार तरीके से लिया । माधवराव इतिहास के सबसे महान पेशवा कहलाए ।
आज इनकी पुण्यतिथि पर जिनके फोटो और कैप्शन लगाए जा रहे है वो नाना साहेब इनसे 100 साल बाद (1824- 1859) हुए ।
4. नाना साहेब का ये नाम उनके असली नाम धोंडुपंत से ज्यादा प्रसिद्ध था । नाना 13 वे (अंतिम) पेशवा श्रीमंत बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे । नाना साहेब के असली पिता श्री नारायण भट्ट (बाजीराव द्वितीय के सहायक) थे । आंग्ल मराठा युद्ध में हार के बाद जब पेशवा जब बिठूर आए तो उनके साथ नारायण भट्ट भी आए ।
5. नाना साहेब ने ही 1857 की क्रांति का नेतृत्व किया था और जबर्दस्त लड़ाई लड़ी ।
6. मैना कुमारी (13 वर्ष), जिसको अंग्रेजो ने जलाकर मार दिया वो नाना साहेब की ही दत्तक पुत्री थी ।
7. ये वाले नाना साहेब वही थे जिनका जिक्र सुभद्रा कुमारी ने अपनी कविता में किया लक्ष्मी बाई की कविता में "नाना के संग खेली थी वो"
8. नाना साहेब को पकड़ने के लिए अंग्रेजो बहुत सारी कंपनिया लगाई पर सफल नहीं हो पाए ।
कमाल की बात ये है कि जब आप प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनापति नाना साहेब को पढ़ने जाते हो तो wikipedia भी कहता है कि Dont confuse with नाना साहेब (बालाजी बाजीराव) and नाना फडणवीस (बालाजी जनार्दन भानु) ।
पर
अपने नेता लोग सिर्फ "बाल पोथी" पढ़कर ही नैरेटिव की लड़ाई जीतने का दिवास्वप्न पाले बैठे है ।
अंत में 8वे पेशवा श्रीमंत बालाजी बाजीराव (नाना साहेब) को उनकी पुण्यतिथि पर नमन रहेगा ।
✍️ निखिलेश
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